Mere Jajbaat
मैं पवित्रा हूँ... लेकिन में मन से अपवित्र थी
25-06-25 (11:22)     4 Views
1. नाम — पवित्रा, काम — बेवफाई

मेरा नाम पवित्रा है।

नाम ऐसा जिसे सुनकर लोग इज़्ज़त, मासूमियत और वफ़ादारी की उम्मीद करते हैं।  
लेकिन नाम तो बस एक नक़ाब था। असल चेहरा? वो तो आइना भी नहीं दिखा सकता।



मैं 16 की थी, जब पहली बार किसी लड़के की नज़र मुझ पर कुछ ज़्यादा देर रुकी।  
वो नज़रों में जो अपनापन था, वो अच्छा लगा। लेकिन...  
सच कहूँ तो मुझे उसका प्यार नहीं, उसपर अपना असर पसंद आया।



वो था — रवि। स्कूल का सबसे पॉपुलर लड़का।  
जब उसने मुझे प्रपोज किया, मैंने “हाँ” कहने से पहले शीशे में खुद को देखा —  
“तेरी कीमत अब लड़कों की आँखों में दिखती है।”



रवि मेरे लिए गिफ्ट्स लाता, नोट्स बनाता, मेरा इंतज़ार करता।  
और मैं? उसकी फोटो पर लिपस्टिक से मूंछें बनाकर अपनी सहेलियों को भेजती थी।



जब उसका प्यार गहराया, तो मैंने एक दिन कहा —  
“अब बोर हो गई हूँ। खत्म करो ये सब।”  
वो बोला, “मर जाऊँगा।”  
और मैं हँसकर आगे बढ़ गई।




2. सुरेन्द्र — एक इमोशनल एटीएम

कॉलेज का पहला दिन। नई भीड़, नए चेहरे — और उन्हीं में एक चेहरा था: सुरेन्द्र।

सीधा, सरल, मासूम... और मुझसे सच्चा प्यार करने वाला।



वो मुझे देखकर मुस्कुराता था जैसे मैं कोई देवी हूँ।  
मुझे उसकी मासूमियत से खेलना अच्छा लगने लगा।



हर सुबह “गुड मॉर्निंग”, हर रात “ख्याल रखना” —  
और मैं? दिन में किसी और से मिलती थी।



मैंने उससे कहा, “तू ही मेरी दुनिया है।”  
वो रोया जब मैंने कुछ दिन जवाब नहीं दिए।  
लेकिन फिर मैंने साफ-साफ कहा —  
“तू ज़्यादा सोचता है... इसलिए अब अकेला सोच।”



और मैं गायब हो गई —  
जैसे उसकी यादों की गलियों में कभी थी ही नहीं।




3. तेजस — जिसे मैंने सबसे गहरा धोखा दिया

अब घर वालों ने रिश्ता तय कर दिया। तेजस नाम था उसका।  
Smart, well-settled, वो हर वो चीज़ जो एक लड़की सपने में मांगती है।



वो मुझे समझता था, मेरा हर मूड पढ़ लेता था।



एक दिन उसने पूछा —  
“क्या तुम पहले किसी के साथ थी?”  
मैंने झूठ बोला — “बस एक बार, वो भी टाइमपास था।”



उसने भरोसा कर लिया।



पर उसी वक़्त मैं अमित से Instagram पर DMs कर रही थी।  
होटल में मिलती थी।  
तेजस को कहती — “वर्क मीटिंग है।”



और जब अमित के हाथों में हाथ था, तेजस के मेसेज को मैंने अनदेखा कर दिया।




4. राजवीर — आखिरी कील

सगाई हो चुकी थी। रिश्तेदारों को कार्ड जाने लगे थे।  
पर मेरे अंदर फिर से excitement की तलाश शुरू हो गई।



राजवीर मिला — स्मार्ट, charming, flirt मास्टर।

हमारे बीच सब कुछ तेज़ी से हुआ —  
DM, कॉल, होटल, Netflix & Chill.



तेजस अब भी मुझे सच्चे दिल से चाहता था।



पर मैं?

मैं thrill चाहती थी, stability नहीं।   
मैं validation चाहती थी, वफ़ा नहीं।




5. जब सच सामने आया

एक दिन तेजस ने मेरा फोन उठा लिया।

रवि, सुरेन्द्र, अमित, राजवीर — सबके चैट्स, तस्वीरें, सब कुछ।  
वो कुछ नहीं बोला।



सिर्फ एक बात कही —  
“तुम्हारा नाम पवित्रा है... और तुमने हर रिश्ते को अपवित्र कर दिया।”



उसने अंगूठी फेंकी और हमेशा के लिए चला गया।



मैं वहीं फर्श पर गिर गई...  
रोई, चीखी, माफी मांगी — लेकिन सब बेकार।




एपिलॉग — अब मैं कौन हूँ?

अब मेरा फोन खामोश रहता है।  
DM में कोई “हाय” नहीं करता।  
रातें लंबी हो गई हैं, और दिन — बोझ।



कभी सोचा था, मैं सबकी चॉइस बनूंगी... आज कोई मुझे भूलना भी नहीं चाहता।



मैं पवित्रा हूँ —  
एक नाम, जिस पर अब कोई भरोसा नहीं करता।



*और ये मेरी सज़ा नहीं… मेरे ही कर्मों का आईना है।*

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