मैं Alia Kaur हूँ — गाँव से पॉर्न तक, एक बिखरी रूह की सच्ची दास्तान
“कभी सपनों में माँ के आँचल की गर्मी महसूस की थी... आज वही सपने, कैमरे की ठंडी रोशनी में जलकर राख हो गए।”
1. मेरा बचपन — मिट्टी में महकती मासूमियत
मेरा नाम Alia है... पूरा नाम Alia Kaur।
पंजाब के एक छोटे से गाँव में मेरा जन्म हुआ। घर मिट्टी का था, छत टपकती थी, लेकिन माँ की हँसी से सब कुछ रोशन रहता था।
पापा रोज़ाना खेतों में मज़दूरी करते और माँ घर चलातीं। हमारे पास पैसे नहीं थे, लेकिन दिल में मोहब्बत थी।
मेरी दो छोटी बहनें थीं — गुड़िया और मीनू। हम तीनों एक चटाई पर साथ सोते थे, और सपनों की कहानियाँ सुनते थे माँ से।
बचपन बहुत सादा था — स्कूल जाना, वापस आकर गायों को चारा देना, माँ के साथ रोटी बेलना... और कभी-कभी पेड़ के नीचे बैठकर आसमान को ताकना।
“क्या मैं भी एक दिन टीवी में आ सकती हूँ?”
पर ये दुनिया सपने देखना सिखाती है, जीने नहीं देती।
2. किशोरावस्था — नज़रों की गंदगी और डर
जब मैं 13 साल की हुई, तब शरीर में बदलाव आने लगे।
गाँव के मर्दों की निगाहें बदलने लगीं — दुकानदार, मौलवी, यहाँ तक कि पड़ोस का अंकल भी अब अजीब ढंग से मुस्कुराता था।
एक दिन स्कूल से लौट रही थी, तो एक बाइक वाले ने मेरा दुपट्टा खींच लिया। गिर पड़ी, कपड़े फट गए।
रोती हुई घर पहुँची, माँ ने मुझे गले लगाया, पर पापा ने कहा —
“अब पढ़ाई की ज़रूरत नहीं, घर में रहो।”
मेरी किताबें जला दी गईं... और एक लड़की की उड़ान वहीं कट गई।
3. माँ की बीमारी और मजबूरी का सौदा
17 की उम्र में माँ को बुखार आया — फिर खाँसी... फिर सांस फूलने लगी।
सरकारी अस्पताल ने कहा — "टीबी है, दवाइयाँ लम्बे समय तक चलेंगी।"
खर्च? 15 हज़ार महीना।
हमारे पास खाने के पैसे नहीं थे, इलाज कहाँ से आता?
मैंने सिलाई सीखी, बर्तन धोने लगी, घर-घर काम माँगा... पर हर जगह एक ही नज़रिया:
“काम तो देंगे, पर कुछ देना होगा बदले में।”
इसी दौर में “विनीता मौसी” नाम की औरत घर आई — बोली,
“तू बहुत सुंदर है बेटा, मैं तुझे शहर ले चलती हूँ। मॉडलिंग कर, पैसे भी मिलेंगे और माँ का इलाज भी।”
मैंने अपनी मासूमियत, अपना डर, और अपना गाँव... सब पीछे छोड़ दिया।
4. कैमरे के पीछे की चीखें
शहर में पहले दिन ही आँखें चौंक गईं — ऊँची इमारतें, मेकअप की गंध, और चमकते चेहरे।
पहले फोटोशूट में मुझसे कहा गया — “थोड़े छोटे कपड़े पहनने होंगे।”
मैंने सोचा, “काम का हिस्सा होगा।”
फिर कहा गया — “अब वीडियो शूट है, थोड़ा बोल्ड होना पड़ेगा।”
मैंने मना किया, पर तब आवाज़ आई —
“जो एडवांस लिया है, वो लौटाओ... नहीं तो तुम्हारा MMS बना देंगे।”
मैं काँप गई। माँ का इलाज, बहनों की पढ़ाई... सब दिमाग में घूम गया।
उस दिन, मैंने एक सीन किया — जहाँ सिर्फ मेरा जिस्म था, रूह कहीं खो चुकी थी।
यहीं से जन्म हुआ — “Alia Kaur” का। एक नाम जो अब pornostar था।
5. पैसा मिला, इज़्ज़त नहीं
अब मैं हज़ारों-लाखों में कमा रही थी। माँ की तबियत ठीक हो गई, बहनों का स्कूल अच्छा हो गया।
लेकिन हर रात जब बिस्तर पर जाती थी, आँखें खुली रह जाती थीं।
कभी शूट के बाद खून निकलता, कभी कोई “क्लाइंट” हाथ से पकड़ लेता।
“तू अब चीज़ है Alia... स्टार बन गई है।”
बॉडी चमकती थी, पर आत्मा गल रही थी।
कई बार बालकनी में जाकर सोचती — “कूद जाऊँ?”
6. समाज का चेहरा और मेरा अंतर्मन
एक बार गाँव गई... माँ-पिता अब मुझे देखकर खामोश हो जाते थे।
लोग कहते, “देखो, वो वही लड़की है... पॉर्नवाली।”
एक बच्चे ने मुझे देखा और पूछा —
“आप ही वो हो ना जो मोबाइल में आती हो?”
मैं भागी वहाँ से... अपने ही गाँव में अब जगह नहीं थी।
कभी सोचा था दुनिया जीत लूँगी... आज खुद से हार चुकी हूँ।
अब जब भी आईना देखती हूँ, एक अजनबी चेहरा दिखता है —
होंठों पर लिपस्टिक है, आँखों में आँसू।
7. मेरी एक आखिरी बात
अगर तुम ये कहानी पढ़ रहे हो, तो मेरी बस एक गुज़ारिश है —
कभी किसी लड़की को इतना मजबूर मत होने देना कि वो Alia Kaur बन जाए।
हमने ये रास्ता चुना नहीं था... हालात ने धकेला था।
मत देखो हमें गंदी नज़रों से — हम भी किसी की बहन, किसी की बेटी हैं।
— Alia Kaur